जनता में व्यापक जागरूकता, अनुशासन और उनकी संगठित सक्रियता से ही सच्चे लोकतंत्र का हमारा सपना साकार हो सकता है।
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जनता में व्यापक जागरूकता, अनुशासन और उनकी संगठित सक्रियता से ही सच्चे लोकतंत्र का हमारा सपना साकार हो सकता है।
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जरा सोचिए, हम स्वयं जिस जीवन शैली के पक्षधर और अनुसरक बन गए हैं उसमें व्यवस्था के प्रति सोच और सक्रियता, अन्याय के अंत के लिए संगठित सक्रियता और स्वयं समाज के क्षरण को रोकने की उद्याम गतिशीलता के लिए कितनी गुंजाइश बची हुई है?